दोस्तों अगर आप शेयर मार्केट में नए हैं तो हम समझ सकते हैं की 1 शेयर कितना होता है? या 1 शेयर में कितना रूपए होता है? जैसे छोटे छोटे सवाल आपको परेशान कर रहे होंगे।
अगर आपको अभी तक इस सवाल का सही जवाब नहीं मिला है तो आगे हम आपको विस्तार से समझाएंगे की एक शेयर कितना होता है
इस टॉपिक पर पूरी जानकारी के लिए हमारे साथ लास्ट तक बनी रहिए तो बिना देरी के लिए आर्टिकल शुरू करते हैं
1 शेयर कितना होता है?
दोस्तों अगर आप सच में जानना चाहते हैं कि एक शेयर कितना होता है तो इसके लिए सबसे पहले आपको समझना होगा कि शेयर बाजार कैसे काम करता है।
दरअसल जब भी किसी कंपनी या बिजनेस को पैसों की जरूरत होती है तो उसके पास दो-तीन ऑप्शन होते हैं।
- एक तो बैंक से लोन ले लिया जाए
- या फिर आज से पड़ोस में अपनी मित्रों या किसी इन्वेस्टर से पैसे ले लिया जाए
- इसके अलावा तीसरा ऑप्शन बचता है कि पब्लिक में अपने कंपनी की हिस्सेदारी को बेचकर पैसे इकट्ठा कर लिया जाए।
दोस्तों पैसे इकट्ठे करने के लिए जो यह तीसरा ऑप्शन है इसी में आपके सवाल का जवाब छुपा हुआ है।
वह कैसे? तो आपको बता दें कि कोई भी कंपनी अपने हिस्सेदारी को बेचने के लिए सबसे पहले कंपनी की कुल वैल्यू कितनी है इसका आकलन लगती है।
मान लीजिए सभी कंपनी के तरह की संपत्ति का हिसाब किताब करने पर एक करोड रुपए की वैल्यू आती है।
तो अब अगर कंपनी 10 लोगों को अपनी कंपनी में हिस्सेदारी देना चाहती है तो इसके लिए हर व्यक्ति को 10-10 लाख रुपए देना होगा।
ऐसे में कंपनी के एक शेयर की कीमत यानी एक हिस्सेदारी की कीमत 10लाख रुपए होगी।
वहीं अगर कंपनी अपने हिस्सेदारी को 100 लोगों के साथ बतानी तो इसके लिए हर व्यक्ति को एक-एक लाख रूपए देना होगा। यानी कि इन लोगों को 1 लाख रू. प्रति शेयर प्राइस का भाव पड़ेगा।
अगर इसी संख्या को बढ़ा दिया जाए, मान लीजिए 1000 लोग कंपनी के हिस्सेदारी लेना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए 10 हजार देना होगा यानी कि आप कंपनी के शेयर प्राइस की कीमत 10 हज़ार कही जाएगी।
तो कुल मिलाकर देखा जाए तो किसी कंपनी की वैल्यूएशन के आधार पर उसके शेयर की कीमत कितनी होगी इस बात पर निर्भर करेगा की कंपनी में कितने लोग हिस्सेदारी लेना चाहते हैं।
दोस्तों इससे आपको यह चीज समझ में आ जाना चाहिए कि एक शेयर कितने का होता है। मतलब की एक शेयर कितने का होता है कभी भी फिक्स नहीं होता है।
एक शेयर की कीमत कम या ज्यादा हो सकती है जो कि इस बात पर निर्भर करेगा कि उसे कंपनी में हिस्सेदारी लेने वाले लोगों की संख्या कितनी है। अंग्रेजी में बोले तो शेयर होल्डर कितने है।
आपने देखा होगा कि अलग-अलग कंपनी के शेयरों की कीमत अलग-अलग होती है क्योंकि उनका मार्केट वैल्यू अलग-अलग होता है और यह मार्केट वैल्यू कंपनी के बिजनेस में प्रॉफिट या लॉस के हिसाब से काम ज्यादा होता रहता है। इसलिए शेयर के प्राइस भी ऊपर नीचे होता रहता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको सवाल का जवाब मिल गया होगा कि एक शेयर कितना होता है।
लेकिन कहीं ना कहीं आपके मन में यह सवाल जरूर आना चाहिए कि लोग कंपनी का शेयर क्यों खरीदना चाहते हैं तो आपको इस सवाल का जवाब देते चले कि जब भी कोई व्यक्ति कंपनी में हिस्सेदारी ले लेता है यानी कंपनी के शेयर खरीदता है तो खरीदे गए इस शेयर की संख्या के हिसाब से उस व्यक्ति का संबंधित कंपनी में उतना फ़ीसदी अधिकार हो जाता है इसलिए कंपनी के बिजनेस से जो कुछ भी प्रॉफिट होगा उसे कंपनी अपने शेयर होल्डर को बांटती है।
इस प्रॉफिट को पाने के लिए ही लोग कंपनी का शेयर खरीदने हैं शेयर तो हमें एक बार ही खरीदना होता है लेकिन कंपनी लगातार बिजनेस करती है और जब जब प्रॉफिट होता है तो उसे अपने शेरहोल्डर के साथ बांटती है।
इसलिए शेयर बाजार को एक तरह का इन्वेस्टमेंट भी कहा जाता है क्योंकि इसमें एक बार शेयर खरीदने में पैसे लगाना होता है और अगर कंपनी को प्रॉफिट होता है तो उसका रिटर्न बार-बार मिलता रहता है।
एक अंतिम सवाल शायद आपके मन में आ रहा होगा कि अगर कंपनी अपना कमाया हुआ प्रॉफिट शेयर होल्डर के साथ बांट देती है यानी कि अपना प्रॉफिट उन लोगों को दे देती है जो जिन्होंने कंपनी के शेयर खरीद होता है तो ऐसे में कंपनी के पास क्या बचता है तो दोस्तों आपको बता दें कि जिस तरह आम लोगों ने कंपनी के शेयर खरीदा होता है इसी तरह अपने सभी शेयर आम लोगों को बेचने से पहले आधा से अधिक शेयर कंपनी के मालिक खुद अपने पास रखते है। जब सभी शेयर होल्डर को प्रॉफिट का हिस्सा बांटा जाता है तो मालिकों को भी उसका पैसा मिल जाता है।
घुमा- फिराकर कहे तो कंपनी अपने सभी शेयर लोगों को नहीं देती है बल्कि आधा से अधिक शेयर अपने पास रखती है इसलिए प्रॉफिट का अधिकांश हिस्सा कंपनी के मालिक को मिलता है और बाकी थोड़ा बहुत उन लोगों को मिलता है जिन्होंने शेयर खरीदा होता है।
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