दोस्तों अगर आपके मन में सवाल आ रहा है कि एक दिन में शेयर मार्केट कितना गिर सकता है या फिर कितना ऊपर जा सकता है तो इन सवाल का जवाब जानने के लिए आपको प्राइस बैंड और सर्किट ब्रेकर को समझना होगा। आइए हम आपको इसके बारे में सब कुछ विस्तार से बताते हैं-
प्राइस बैंड क्या होता है
दोस्तों प्राइस बैंड किसी भी स्टॉक में वह प्राइस लिमिट होता है जिसके ऊपर स्टॉक ना तो स्टॉक जा सकता है और न नहीं उससे नीचे आ सकता है।
आपको बता दें की हर स्टॉक के लिए यह प्राइस बैंड अलग-अलग होता है जो 2% 5% और 10% की रेंज में होता है।
किसी भी स्टॉक के लिए प्राइस बैंड स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा तय किया जाता है। यह प्राइस बैंड संबंधित स्टॉक के हिस्टोरिकल मूवमेंट के आधार पर सुनिश्चित किया जाता है।
मार्किट टाइम के दौरान उस दिन के लिए किसी भी स्टॉक का प्राइस बैंड प्राइस पिछले दिन के क्लोजिंग के आधार पर तय किया जाता है।
उदाहरण के लिए मानकर चलते हैं कि xyz नाम का कोई कंपनी है जिसका प्राइस बैंड 10% है और इसके पिछले दिन की क्लोजिंग का प्राइस ₹100 है।
इस हिसाब से उस दिन स्टॉक का upper Price band निकाले तो लास्ट डे की क्लोजिंग प्राइस से 10% लें तो यह 110 रुपए का होगा। मतलब की उस दिन स्टॉक 110 रू. से ऊपर नही जायेगा।
इसी तरह अगर हम यह जानना चाहें की स्टॉक उस दिन कितना गिर सकता है तो lower price band का निकालने के लिए लास्ट डे की क्लोजिंग प्राइस में 10% कम कर देंगे। यानी कि हमारा lower price band ₹90 का होगा।
तो दोस्तों इस तरह से अब आप जान चुके हैं कि xyz कंपनी का शेयर प्राइस उस दिन ₹90 से 110 रुपए के बीच ही ट्रेड करेगा इससे बाहर नहीं जा सकता है।
अगर शेयर प्राइस इस प्राइस बैंड को टच करता है तो उसे दिन या कुछ समय के लिए xyz कंपनी के शेयर में ट्रेडिंग स्थागित कर दिया जाएगा।
दोस्तों जब xyz कंपनी का upper Price band हिट होगा तो ऐसे में जो buyer लोग होंगे वह फायदे में होंगे।
वहीं जब xyz कंपनी का lower price band हिट होगा तो यही buyer लोग नुकसान में होंगे। क्योंकि जब वो स्टॉक को सेल करना चाहेंगे तो उन्हे खरीदने वाला नही मिलेगा।
दोस्तों अगर शेयर प्राइस बार-बार प्राइस बैंड को हिट करता है तो ऐसे में इसकी वोलैटिलिटी को डिक्रीज करने के लिए स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा इसके प्राइस बैंड को कम कर दिया जाएगा।
आप NSE या BSE की वेबसाइट में जाकर उन कंपनियों के लिस्ट प्राप्त कर सकते हैं जिनका प्राइस बैंड अगले दिन चेंज होने वाला है।
🔗https://www.nseindia.com/products/content/equities/equities/price_bands.htm
दोस्तों अगर आपने प्राइस बैंड को समझ लिया है तो उम्मीद करते हैं कि आप समझ चुके होंगे कि कोई शेयर कितना ऊपर जा सकता है और कितना नीचे गिर सकता है।
चलिए अब हम आपको अगले कॉन्सेप्ट सर्किट ब्रेकर के बारे में समझाते हैं जिससे आपको और अच्छे समझ में आ जाएगा कि शेयर कितना गिर सकता है और कितना ऊपर जा सकता है।
सर्किट ब्रेकर क्या होता है
दोस्तों जिस तरह से इलेक्ट्रिक सर्किट में करंट के फ्लो को कंट्रोल करने के लिए सर्किट ब्रेकर लगा होता है, इसी तरह से स्टॉक मार्केट में प्राइस के मोमेंट को कंट्रोल करने के लिए सर्किट ब्रेकर होता है।
आइए हम आपको बताते हैं कि सर्किट ब्रेकर काम कैसे करता है-
हमारे देश के स्टॉक एक्सचेंज में SEBI w.e.f 02 July 2001. गाइडलाइन के अनुसार इंडेक्स के आधार पर सर्किट ब्रेकर का इस्तेमाल किया जाता है।
सेबी के इस गाइडलाइन के मुताबिक
जब कोई भी स्टॉक मार्केट इंडेक्स 10% , 15% और 20% के लेवल को क्रॉस करेगा तो इन स्टेज पर इंडेक्स के लिए सर्किट ब्रेकर अप्लाई होगा।
इसके लिए मार्केट इंडेक्स के पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर स्टॉक एक्सचेंज Index circuit breaker limits का गणना किया जाएगा।
अगर किसी भी स्टॉक इंडेक्स यह सर्किट ब्रेकर्स हिट हो जाते हैं तो उस दिन कुछ समय के लिए पूरे देश भर में स्टॉक ट्रेडिंग को स्थगित कर दिया जाएगा।
इसके अलावा किसी मार्केट इंडेक्स जेसे कि Sensex ने 10% गिरावट के साथ सर्किट ब्रेकर को हिट कर दिया है लेकिन दूसरे इंडेक्स जैसे कि NSE 9.7% गिरावट में है और अभी सर्किट ब्रेकर को हिट नहीं किया है तो इस स्थिति में भी ट्रेडिंग को स्थगित कर दिया जाएगा।
इसके बाद कुछ टाइम में SEBI के बताए गए समय अनुसार मार्केट फिर से शुरू होगा।
रियल लाइफ एग्जाम्पल
दोस्तों उदाहरण के तौर पर May 18, 2009 की बात है जब सेंसेक्स 10.73% तेजी के साथ खुला था वही निफ्टी ने 14.48% की बढ़ोतरी दिखाई थी।
इस तरह इंडेक्स के द्वारा अपर सर्किट ब्रेकर को हिट करने की वजह से उस दिन ट्रेडिंग को 2 घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया था।
इसके बाद जब मार्केट फिर से खुला तो इसने फिर से अपर सर्किट को हिट कर दिया इसके वजह से उस दिन ट्रेडिंग को बंद कर दिया गया।
निष्कर्ष
दोस्तों कुल मिलाकर देखा जाएं तो कोई शेयर एक दिन में कितने ऊपर या नीचे जा सकता है यह प्राइस बैंड पर निर्भर करता है।
हमारे देश में स्टॉक्स के लिए 2%,5%,10% और 20% का प्राइस बैंड स्टॉक एक्सचेंज की तरफ से फिक्स किया गया है इन्हीं प्राइस बैंड के आधार पर शेयर प्राइस का प्रिडिक्शन किया जाता है।
अगर किसी कंपनी का शेयर प्राइस बैंड 10% है तो इसका मतलब है कि वह शेयर पूरे दिन भर के ट्रेडिंग में 10% के आसपास ही ट्रेड करेगा इससे ऊपर या नीचे नहीं जा सकता।
इसके अलावा शेयर मार्केट इंडेक्स के अपने सर्किट ब्रेकर होते हैं जो 10% 15% और 20% पर काम करते हैं। अगर किसी भी स्टॉक इंडेक्स में इन सर्किट ब्रेकर को हिट किया तो उस दिन कुछ समय के लिए पूरे देश में ट्रेडिंग को स्थगित कर दिया जाएगा।
कुछ समय बीत जाने के बाद ट्रेडिंग फिर से शुरु कर दिया जाएगा।
तो दोस्तों यह था आपके सवाल का जवाब है कि एक दिन में शेयर कितना ऊपर या नीचे जा सकता है। उम्मीद करते हैं आर्टिकल आपको पसंद आया होगा और जानकारी हेल्पफुल रही होगी।