दोस्तों अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में बिल्कुल नए है तो हम समझ सकते हैं कि option trading kaise karte hain बिल्कुल भी आपके पल्ले नहीं पड़ रहा होगा. लेकिन दोस्तों आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. यह चीज बिल्कुल ही नॉर्मल है और इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद सब कुछ आप समझ जाएंगे लेकिन फिर भी हम आपको यही कहेंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में अच्छे से सीखने के लिए आपको खुद से प्रैक्टिस करनी होगी. तो बिना देरी के चलिए आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं और आपको बताते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं
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क्या होता है ऑप्शन ट्रेडिंग
दोस्तों ऑप्शन एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट यानी समझौता होता है जिसमें कोई ट्रेडर या इन्वेस्टर स्टॉक , ETF ,कमोडिटी जैसे किसी भी चीज को एक निश्चित प्राइस पर निश्चित समय के लिए खरीदने बेचने की अनुमति देता है. जितने भी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट होते हैं उन सभी में एक फिक्स एक्सपायरी डेट होता है. यह एक्सपायरी डेट आमतौर पर मंथ के आखिरी गुरुवार को होता है. जब यह एक्सपायरी डेट आ जाता है तो उसके बाद उस कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू जीरो हो जाती है.
बता दे की ऑप्शन ट्रेडिंग नॉर्मल ट्रेडिंग से अलग होता है क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग में व्यक्ति ऑप्शन यूटलाइज करने तक शेयर का मालिक नहीं बनता है . वहीं जब कोई व्यक्ति स्टॉक में इनवेस्ट करता है तो वह कंपनी का हिस्सेदार यानी मालिक बन जाता है लेकिन जब कोई व्यक्ति ऑप्शन ट्रेड करता है तो वह सिर्फ अपनी इच्छा व्यक्त करता है कि वह कंपनी के शेयर को एक निश्चित तिथि पर खरीदना चाहता है लेकिन असल में अभी उसका मालिक नहीं बना है. .
अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको एक अकाउंट की जरूरत होगी. इसे डिमैट अकाउंट कहते हैं और फिर इसके बाद आपको अलग-अलग ऑप्शन स्ट्रेटजी सीखना होगा. आपको बता दे की ऑप्शन ट्रेडिंग करना फायदेमंद होने के साथ ही इसमें नुकसान भी होता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऑप्शंस को दो प्रकारों में बांटा गया है जिन्हें कॉल और पुट कहते हैं. कॉल और पुट की बात करें तो कॉल एक ऐसा ऑप्शन है जिसमें खरीददार संबंधित सिक्योरिटी को फ्यूचर यानी भविष्य में एक निर्धारित कीमत पर बेचता है. वही पुट ऑप्शन एक ऐसा सिक्योरिटी होता है जो खरीदार को पहले से ही निश्चित कीमत पर लंबे समय के लिए खरीद कर रखना होता है. इस कीमत को स्ट्राइक रेट कहते हैं.
इतना सब जानने के बाद अब अगर आप जानने के लिए तैयार हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं तो हमारे साथ बने रहिए. आगे हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं……
option trading kaise karte hain
Step 1: खोलिए अपना ऑप्शन ट्रेडिंग अकाउंट
दोस्तों ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होगी. ऑप्शन ट्रेडिंग नॉर्मल ट्रेडिंग के मुकाबले थोड़ा मुश्किल होता है इसलिए हो सकता है कि आपका ब्रोकर ऑप्शन ट्रेडिंग करने से पहले आपके बारे में कुछ जानना चाहे . आपके साथ जो इंटरव्यू होगा तो इस दौरान आपको उन्हें सभी जरूरी चीज बतानी होगी जैसे आपके इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव यानी उद्देश्य क्या है. आपके पास कितना कैपिटल है. आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़ी कितनी जानकारी है .अगर आप यह सारी चीज उन्हें बताएंगे तो उन्हें समझने में मदद मिलेगी कि आपका ट्रेडिंग एक्सपीरियंस कितना है और फिर इस हिसाब से वे आपका सहायता करेंगे.
Step 2: खरीदने या बेचने के लिए चुनिए ऑप्शन
दोस्तों ट्रेडिंग अकाउंट बन जाने के बाद अब बारी आता हैं ऑप्शन ट्रेडिंग करने की. अब आपको ऐसा ऑप्शन चुनना होगा जिसमें आप ट्रेंडिंग करना चाहते हैं. जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया था ऑप्शंस दो प्रकार के होते हैं- एक Call और दूसरा Put.
तो बात करें कि इन दोनों में से आपको कौन सा चुनना चाहिए तो यह इस बात पर निर्भर करेगा कि जिस कंपनी के स्टॉक में आप ऑप्शन ट्रेडिंग करने वाले हैं उसका कंडीशन कैसा है. अगर आपको लगता है कि स्टॉक का प्राइस अभी स्थिर रहेगा तो आप उसके कॉल और पुट को बेच सकते हैं लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि इसका स्टॉक प्राइस ऊपर जाएगा तो ऐसे में आप कॉल और पुट दोनों को खरीद सकते हैं. अगर आपको ये उम्मीद है कि अभी कंपनी के स्टॉक प्राइस नीचे जाएगा तो ऐसे में आप पुट ऑप्शन को खरीद सकते हैं और कॉल ऑप्शन को बेच सकते हैं.
ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आप बिल्कुल नए हैं तो हमारा सलाह है कि आप किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में बात करें. फिर जाकर इसमें ट्रेडिंग करें.
Step 3: ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस प्रेडिक्ट करे
अगर आपको इस ‘स्ट्राइक प्राइस’ शब्द हजम नहीं हो रहा है तो आपको बता दें कि किसी ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस वह प्राइस होता है जिस पर कॉल ऑप्शन के लिए स्टॉक क्लोज होता है या पुट ऑप्शन के लिए प्राइस नीचे जाता है जिससे ऑप्शन प्रॉफिटेबल होता है .
दोस्तों स्ट्राइक प्राइस प्रिडिक्ट करते समय स्टॉक के वर्तमान प्राइस और उसके फ्यूचर मोमेंट के बारे में सोचना बहुत जरूरी होता है. उदाहरण के लिए किसी कंपनी का स्टॉक प्राइस ₹8000 और आपको लगता है कि एक निश्चित समय के भीतर इसका प्राइस ₹8000 से ₹9000 हो जाएगा तो ऐसे में आपको समझदारी के साथ कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए जिसका स्ट्राइक प्राइस ₹9000 से नीचे हो.
लेकिन इसके विपरीत अगर आपको लगता है कि उस कंपनी का स्टॉक प्राइस अभी ₹8000 है और यह बढ़ाने के बजाय ₹6000 तक गिरेगा तो ऐसे में आपको उसका स्ट्राइक प्राइस वाला पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए.
दोस्तों कुल मिलाकर कहें कि ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए स्ट्राइक प्राइस के बारे में समझाना बहुत जरूरी है.तभी आप ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस प्रिडिक्ट कर पाएंगे.
Step 4: ऑप्शन का टाइम फ्रेम तय करें.
दोस्तों हर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का एक एक्सपायरी डेट होता है. यह एक्सपायरी डेट वह लास्ट दिन होता है जब आप किसी ऑप्शन का इस्तेमाल करते हैं. बता दें की एक्सपायरी डेट सप्ताह से लेकर महीने और साल तक हो सकता है. कहते हैं कि डेली और वीकली ऑप्शन बहुत ही रिस्की होते हैं और यह उन्हीं लोगों के लिए होते हैं जो ऑप्शन ट्रेडिंग में महारत हासिल कर चुके हैं.
इसके साथ मंथली और एनुअल यानी सालाना ऑप्शन ट्रेड उन लोगों के लिए अच्छा होता है जो लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर होते हैं. लॉन्ग टर्म पीरियड में इसका फायदा ये होता है कि जितने ज्यादा टाइम तक स्टॉक ऑप्शन को होल्ड करके रखते हैं उसमें उतना ही संभावना होती है की स्टॉक आपके पक्ष में आगे बढ़ेगा.
लेकिन दोस्तों इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि लंबे समय तक एक्सपायरी डेट वाले ऑप्शन में ट्रेड करना महंगा पड़ता है. तो
ऑप्शन ट्रेडिंग में कामयाब होने के लिए सबसे पहले इसके अलग-अलग प्रकार और स्ट्रेटजी को जानना जरूरी है कि डेली , वीकली , मंथली और ईयरली टाइम फ्रेम में से कौन सा टाइम फ्रेम में ऑप्शन ट्रेड करना आपके लिए अच्छा होगा.
दोस्तों हमारे साथ यहां तक बड़े रहने के बाद उम्मीद करते हैं कि आपके ऊपर के चार स्टेप्स समझ में आ गए होंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं. बताते चलें कि ऑप्शन ट्रेडिंग में खुद का रिसर्च करना जरूरी है और हो सके तो किसी एक्सपर्ट की एडवाइस भी जरूर लें. अब हम आगे बढ़ रहे हैं और बता रहे हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग करने के कौन से फायदे और नुकसान होते हैं
ऑप्शन ट्रेडिंग करने के फायदे और नुकसान
दोस्तों ट्रेडिंग ऑप्शन ट्रेडिंग करना पैसे कमाने का एक अच्छा जरिया जरूर है लेकिन इसके कुछ फायदे और नुकसान भी है जिसके बारे में आपको जानकारी होना चाहिए तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके फायदे और नुकसान कौन-कौन से हैं
पहले जानिए ऑप्शन ट्रेनिंग के फायदे
ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना
दोस्तों ऑप्शन ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फायदा है कि इसमें बहुत ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना होती है. हालांकि रेगुलर स्टॉक यानी कि नॉर्मल स्टॉक में ट्रेडिंग करना भी अच्छा रिटर्न देता है लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग करना उससे भी ज्यादा रिटर्न देता है. तो ऑप्शन ट्रेडिंग में आपकी कमाई कितनी होगी और आप कितना प्रॉफिट कमाएंगे यह है इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस स्ट्राइक प्राइस पर ऑप्शन खरीदा बेचा है.
ढेरों स्ट्रेटजी
ऑप्शन ट्रेडिंग करने के अगले फायदे की बात करें तो वह यह है कि आप इसमें अलग-अलग स्ट्रेटजी के जरिए फायदा कमा सकते हैं. ऑप्शन में बहुत तरह की स्ट्रैटेजी होती है जिन्हें आप इस्तेमाल कर सकते हैं. आप इसमें अलग-अलग तरह के ट्रेड को कंबाइन करके एक नया स्ट्रेटजी बना सकते हैं. आप पुट और कॉल ऑप्शन के साथ अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस, एक्सपायरी डेट के साथ अच्छे से इसमें ट्रेडिंग कर सकते हैं.
लो कॉस्ट
ऑप्शन ट्रेडिंग करना कम लागत वाला होता है. इसमें आप स्टॉक पोजीशन के जैसे ही अपना पोजीशन बना सकते हैं वह भी कम मार्जिन के साथ. इसका मतलब है कि आप पैसे कम लगाएंगे और आपको रिटर्न अच्छा मिलेगा
दोस्तों यह तो रहा ऑप्शन ट्रेडिंग करने के फायदे की बात. चलिए अब इसके कुछ नुकसान भी जान लेते हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए
ये हैं ऑप्शन ट्रेनिंग के नुकसान
देना पड़ता है ज्यादा कमीशन
ऑप्शन ट्रेडिंग के सबसे पहले नुकसान है कि इसमें आपको नॉर्मल स्टॉक ट्रेडिंग के मुकाबले ज्यादा कमीशन देना पड़ता है. तो जब आप अपना प्रॉफिट कैलकुलेट करें तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि आपको ज्यादा कमीशन देना पड़ेगा,
होती है कम लिक्विडिटी
ऑप्शन ट्रेडिंग में रेगुलर स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के मुकाबले लिक्विडिटी कम होती है जिसका सीधा मतलब होता है कि आप ऑप्शन में एक कॉल या पुट को अपने मन चाहे दम पर खरीद बेच नहीं पाएंगे.
सभी स्टॉक में नहीं कर सकते हैं ट्रेड
दोस्तों बता दें कि ऑप्शन ट्रेडिंग सभी स्टॉक्स के लिए उपलब्ध नहीं होता है. अगर आप किसी खास स्टॉक में ऑप्शन ट्रेडिंग करने की सोच रहे हैं तो यह संभव नहीं है.
समय की पाबंदी
दोस्तों ऑप्शन ट्रेडिंग में समय की पाबंदी होती है. मतलब की एक्सपायरी डेट होता है. जैसे-जैसे डेट खत्म होंगे तो हो सकता है ऑप्शन की वैल्यू कम हो जाए जिसका मतलब है कि आपको अपने ऑप्शन के एक्सपायरी डेट को लेकर जागरूक रहना होगा.
कुल मिलाकर कहें तो ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान दोनों हैं. जहां एक तरफ इसमें अच्छा रिटर्न देता है , आप ज्यादा स्ट्रेटजी इस्तेमाल कर सकते हैं और कम इन्वेस्टमेंट लगता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ ज्यादा कमीशन देना पड़ता है ,इसमें लिक्विडिटी कम होती है और सभी स्टॉक में आप ऑप्शन ट्रेडिंग नहीं कर सकते. तो दोस्तों स्टॉक मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान को के बारे में आप जानकर आप समझ गए होंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे काम करता है
अक्सर पूंछे जाने वाले सवाल
क्या नए लोगों के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग करना अच्छा है
दोस्तों बहुत सारे लोग मानते हैं जो लोग ट्रेडिंग में अभी नए हैं उनके लिए ऑप्शन ट्रेडिंग करना थोड़ा रिस्की होता है. लेकिन सही नॉलेज के साथ धीरे-धीरे इसमें अपना अनुभव बढाकर सफलता पाया जा सकता है.
ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए बेस्ट स्ट्रेटजी कौन सी है?
दोस्तों वैसे तो ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए बहुत सारे स्ट्रेटजी मौजूद हैं लेकिन बात करें कि इसमें से बेस्ट स्ट्रेटजी कौन सी है तो इसमें straddle का नाम आता है यह बहुत ही इफेक्टिव ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी है.
दिन में हम ऑप्शन ट्रेडिंग कब कर सकते हैं ?
दोस्तों ऑप्शन ट्रेडिंग करने का समय नॉर्मल स्टॉक ट्रेडिंग करने के समय में ही होता है यानी कि आप 9:15 AM से 3:30 PM तक किसी भी समय ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते हैं.
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